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इंडियन स्टॉक मार्केट में FII और DII का असर

जानिए कि भारतीय शेयर बाजार में FII और DII का क्या प्रभाव पड़ता है। उनके निवेश पैटर्न, अंतर, फायदे-नुकसान और बाजार की दिशा पर असर को इस लेख में विस्तार

 

इंडियन स्टॉक मार्केट में FII और DII का असर
इंडियन स्टॉक मार्केट में FII और DII का असर


📑 अनुक्रमणिका (Table of Contents)

FII और DII क्या हैं?

FII का मतलब है "Foreign Institutional Investors" यानी विदेशी संस्थागत निवेशक। ये वे निवेशक होते हैं जो भारत के बाहर स्थित होते हैं लेकिन भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं। वहीं DII यानी "Domestic Institutional Investors" वे संस्थाएं होती हैं जो भारत में स्थित होती हैं और भारतीय बाजार में निवेश करती हैं। इसमें म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियाँ और बैंक्स शामिल हैं।

FII और DII में अंतर

FII और DII दोनों संस्थागत निवेशक होते हैं लेकिन उनके निवेश करने की रणनीति, उदेश्य और समयावधि में बड़ा अंतर होता है:

  • स्थान: FII विदेश से आते हैं, DII भारत के अंदर से।
  • प्रभाव: FII के बड़े-बड़े निवेश एक साथ आते हैं जिससे बाजार में तेजी या मंदी आती है।
  • प्रवृत्ति: FII अक्सर शॉर्ट टर्म नजरिए से निवेश करते हैं, जबकि DII का नजरिया अधिकतर लॉन्ग टर्म होता है।

भारतीय शेयर बाजार पर इनका प्रभाव

जब भी FII बड़ी मात्रा में निवेश करते हैं, Nifty और Sensex जैसे सूचकांक तेजी से ऊपर चढ़ते हैं। वहीं जब वे निकासी करते हैं, तो बाजार गिरता है। DII बाजार में स्थिरता बनाए रखने में मदद करते हैं। वे बाजार में पैसा बनाए रखते हैं, खासकर तब जब FII पैसा निकाल रहे होते हैं।

सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

FII के सकारात्मक प्रभाव:

  • बाजार में तरलता बढ़ती है
  • बड़ी मात्रा में पूंजी आती है
  • वैश्विक मान्यता मिलती है

नकारात्मक प्रभाव:

  • FII के बाहर जाते ही बाजार गिर सकता है
  • बाजार की अस्थिरता बढ़ती है
  • लघु निवेशक भ्रमित हो सकते हैं

FII और DII का ऐतिहासिक डाटा

पिछले वर्षों में देखा गया है कि जब भी विदेशी निवेशक बाजार में सकारात्मक रुख रखते हैं, बाजार में तेजी आती है। उदाहरण के लिए, 2020 और 2021 में, FII द्वारा लगातार खरीदारी ने Sensex को 60,000 पार करा दिया था। वहीं 2022 में जब FII ने पैसा निकाला, तो DII ने खरीदारी करके बाजार को संभाला।

बाजार का ट्रेंड कैसे बनाते हैं?

FII और DII दोनों के मूवमेंट से बाजार की दिशा तय होती है:

  • FII Net Buyer: बाजार में तेजी की संभावना
  • DII Net Buyer: स्थिरता का संकेत
  • दोनों Net Seller: गिरावट की आशंका

इसलिए ट्रेडर्स और निवेशक रोजाना FII-DII डाटा की रिपोर्ट को ट्रैक करते हैं।

निवेशक क्या सीख सकते हैं?

  • हर रोज FII-DII data ज़रूर देखें
  • FII-DII की buying/selling के ट्रेंड को समझें
  • उनकी रणनीति से long-term vision रखें
  • घबराहट में निर्णय न लें, DIIs आमतौर पर market को stabilize करते हैं

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार में FII और DII की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक तरफ जहाँ FII बाजार को तेजी से ऊँचाई तक ले जाते हैं, वहीं DII उसे संतुलित बनाए रखते हैं। एक समझदार निवेशक को चाहिए कि वह इन दोनों की गतिविधियों पर ध्यान दे और अपने निवेश निर्णय सोच-समझकर ले।

अगर आप रोजाना शेयर मार्केट से जुड़ी जानकारी चाहते हैं, तो GKTrending.in पर विजिट करते रहें।

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