देश की दिग्गज स्टील निर्माता कंपनी टाटा स्टील की चौथी तिमाही (Q4 FY25) के नतीजों का बाजार को बेसब्री से इंतज़ार है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के मुनाफे (PAT - Profit After Tax) में करीब 46% तक की गिरावट आ सकती है। यह गिरावट मुख्य रूप से कमजोर मांग, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी और यूरोप में परिचालन संबंधी दबावों के कारण देखी जा रही है।
राजस्व में गिरावट का प्रभाव
FY25 की चौथी तिमाही में टाटा स्टील के समेकित राजस्व में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि राजस्व में यह कमी 5% से 8% तक हो सकती है। इसका मुख्य कारण चीन और यूरोप में स्टील की मांग में सुस्ती और कीमतों में गिरावट है।
यूरोपीय परिचालन में चुनौती
टाटा स्टील के यूरोप बिजनेस, खासकर यूके और नीदरलैंड्स में, लागत और परिचालन से जुड़ी दिक्कतें जारी हैं। वहां की अर्थव्यवस्था में कमजोरी और ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव का भी असर कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी पर पड़ सकता है।
भारतीय कारोबार बना सहारा
हालांकि, भारत में कंपनी का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा है। घरेलू मांग में स्थिरता और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ने से भारतीय बाजार टाटा स्टील के लिए राहत भरा साबित हो सकता है।
विश्लेषकों की राय
ब्रोकरेज हाउसों का मानना है कि आने वाली तिमाही में भी हालात चुनौतीपूर्ण रह सकते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में टाटा स्टील की रणनीति और भारतीय बाजार में उसकी मज़बूत स्थिति कंपनी के लिए फायदेमंद हो सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह:
अगर आप टाटा स्टील के शेयर में निवेश कर चुके हैं या करने की योजना बना रहे हैं, तो तिमाही नतीजों के बाद कंपनी की कॉन्फ्रेंस कॉल और प्रबंधन की गाइडेंस को ध्यान से समझना जरूरी होगा।
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