परिचय:
हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है, जो दो प्रमुख कारणों से हुई है: अमेरिकी डॉलर की मजबूती और ओपेक+ द्वारा तेल उत्पादन बढ़ाए जाने की संभावना।
डॉलर की मजबूती का प्रभाव:
अमेरिकी डॉलर मजबूत होने पर अन्य देशों के लिए तेल खरीदना महंगा हो जाता है, क्योंकि इसकी कीमत डॉलर में होती है। इससे मांग घटती है और कीमतों में गिरावट आती है।
ओपेक+ की भूमिका:
ओपेक+ देशों ने संकेत दिए हैं कि वे आने वाले समय में तेल उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इससे वैश्विक आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव पड़ेगा।
बाजार की प्रतिक्रिया:
इन दोनों कारणों से निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ी है। ब्रेंट क्रूड और WTI दोनों की कीमतों में गिरावट देखी गई है।
तेल की कीमतें वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों से जुड़ी होती हैं। मजबूत डॉलर और आपूर्ति बढ़ने की आशंका भविष्य में भी कीमतों को प्रभावित कर सकती है।
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