तेल बाजार में हाल के दिनों में जबरदस्त हलचल देखने को मिली है। इसके पीछे दो बड़े कारण हैं-ईरान-अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता और चीन के ताजा आर्थिक आंकड़े। आइए जानते हैं इन घटनाओं का तेल की कीमतों और निवेशकों की रणनीति पर क्या असर पड़ा है।
ईरान-अमेरिका वार्ता: प्रतिबंधों का दबाव
- अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत फिर से सुर्खियों में है। हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने उन सभी देशों को सख्त चेतावनी दी है जो ईरान से तेल खरीदते हैं।
- चीन, जो ईरान के कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, इस चेतावनी से सबसे ज्यादा प्रभावित है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने 2023 में ईरान के कच्चे तेल का लगभग 90% हिस्सा खरीदा था।
- वार्ता के स्थगित होने और प्रतिबंधों के डर से तेल की वैश्विक आपूर्ति पर दबाव बना है, जिससे कीमतों में हलचल देखी गई।
चीन के आर्थिक आंकड़े: मांग में सुस्ती
- चीन ने 2025 के लिए अपनी जीडीपी वृद्धि का लक्ष्य 5% रखा है, लेकिन मौजूदा आर्थिक हालात और अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के चलते यह लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।
- चीन की आर्थिक सुस्ती और कच्चे तेल की मांग में गिरावट से तेल की कीमतें जून के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं।
- निवेशकों की नजर अब चीन की नीतियों और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पर है, जिससे मांग में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
निवेशकों के लिए संकेत
- तेल बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी क्योंकि ईरान-अमेरिका वार्ता और चीन की आर्थिक नीति दोनों ही अनिश्चितता से भरे हैं।
- अगर अमेरिका-ईरान वार्ता में कोई प्रगति होती है, तो तेल की आपूर्ति बढ़ सकती है और कीमतों में गिरावट आ सकती है।
- वहीं, चीन की मांग में सुधार या गिरावट, दोनों ही दिशा में बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
फिलहाल निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और वैश्विक घटनाक्रमों पर नजर बनाए रखनी चाहिए। तेल की कीमतें आने वाले समय में इन दोनों कारकों के चलते ऊपर-नीचे हो सकती हैं, जिससे ट्रेडिंग और निवेश के नए मौके बन सकते हैं।
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